Monday, April 4, 2016

भारत माता की जय

भारत माता की जय
भारत माता के पड़ोसियों की जय 
भारत माता के पड़ोसियों के पड़ोसियों की भी जय !
जिन्हें माँ की विशाल कोख में से फुटपाथ का कोना भी नसीब न हुआ  
जिन्हें उनके खुद के भारत से खदेड़ दिया गया अनजान इंडिया में 
भारत माता के उन नाजायज बच्चो की जय !

भारत माता के विकास कारखानों की जय जो अविरत चलते रहते हैं
कतरा कतरा खून, टुकड़ा टुकड़ा जमीं नोचते रहते हैं 
और जीते जागते इंसानों को बना देते सर झुका कर चलनेवाला मेमना !

शेर की खाल पहने चौपाल पर गला फाड़नेवाले भारत माता के मेमनों की जय 
उन मेमनों को लाठी-तलवार देनेवाले भारत माता के नेताओ की जय 
हत्याकांड को गौरव समझनेवाली और मेमनों को पूजनेवाली जनता की जय !

भाषणों से निकलती आग की जय
चुप्पी से दी जाती षडयांत्रिक सहमती की जय
बेकार नौजवानों की जय, जवानी फ़िक्र में गुजारनेवाली बेबस लडकियों की जय
प्रतिपल चीरहरण देखती राजसभा की जय
प्रतिपल चीरहरण सहती जनसभा की जय
देश का नक्शा देखने से पहले कुपोषित मर गए बच्चो की जय  
कभी तहसील से आगे नहीं गए उन ठहरे हुए पांवो की जय !

जिनके लब्ज़ पानी में कंकड़ सा भी काम नहीं दे सकते उन कविओ की जय
जिनकी शिक्षा गुलामी सिखाती हैं उन द्रोणाचार्यो की जय 
उस गुलामी से अंतिम गुमनामी में चले जानेवाले छात्रो की जय 
भारत माता के शाहुकारो की जय 
भारत माता के व्याजवहसीओ की जय
क़र्ज़ में डूबे गरीबो की जय
क़र्ज़ से उभरे अमीरो की जय
सलवा जुडूम की जय
बड़े बांधो की जय
उन बांधो से निकले जल से चलते कारखानों की जय
उन बांधो से उजड़े जंगल की जय
आदिवासिओ का बलिदान भी जिनके काम न आया उन तरसे गाँवो की जय !
आम्बेडकर को गालिया देनेवालो की जय 
उन गालियों को लब्ज़ देनेवालो की जय
गाँधी को गोली मारनेवालो की जय
और उस गोली में बारूद भरनेवालो की जय
सरदार के ऊँचे बूत की जय
मायावती के हाथियों की जय
बाल ठाकरे के स्मारक की जय
प्रधानमंत्री के सूट की जय
ओपोझिशन के तुत की जय
सारे फ़िल्मी नेताओ की जय
सारे राजकीय अभिनेताओ की जय

भारत माता के भगवे झंडे की जय
भारत माता के हरे झंडे की जय
भगवे-हरे के बिच पिसते रहते नीले - सफ़ेद रंगों की जय
और सभी रंगों में ईमान खोज्नेवालो की जय

जय बुलवाने का ठेका लेनेवालों की जय
जय बुलवाने के ठेकेदारों के धमकी दे सकते गुंडों की जय
जय बुलवाने के ठेकेदारों के जान ले सकते बड़े गुंडों की जय 
प्रात-भुलनीय नागपुर नरेश की जय और उनके हैदराबाद सन्निवेश की जय
दोनों भेष के भक्तो की जय 
देशद्रोहियो के ठप्पों की जय
देशभक्ति के प्रमाणपत्रो की जय
भारत माता की जय 
भारत माता के पड़ोसियों की जय 
भारत माता के पड़ोसियों के पड़ोसियों की भी जय !

- मेहुल मंगुबहन, अहमदाबाद - ०४ अप्रैल २०१६

3 comments :

  1. A nice poem full of stire and not sparing anybody. This poem shows pain that is experienced everyday from the social and political environment in the country the behavior of the so-called leaders. I am really impressed with the depth and understanding of the subject. Keep writing. Very good piece of work.

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  2. Very nice poem .he expressed the pain of society and castisam without criticise any body.

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