Monday, August 4, 2014

कुछ लोग

कुछ लोग वक़त के मारे थे कुछ को लोगो ने मार दिया !
खंजर तो बस एक ही था पर सब ने नजर से वार किया !

एक खोली में आठ जान और छत जेसे की टुटा छाता,
फिर भी सबने हँसते हँसते बारिश से कितना प्यार किया !

सच कहू, जब तूफान आया में इक सपने में खोया था,
पता नहीं इस कश्ती ने कैसे इतना दरिया पार किया!

- मेहुल मंगुबहन, अहमदाबाद, ९ अगस्त २०१० 

No comments :

Post a Comment